एण्टीबायोटिक रोगनिरोध –रोग की रोकथाम करने के लिए एण्टीबायोटिक्स का उपयोग– मानवों और पशुओं में लम्बे समय से बड़े पैमाने पर किया जाता है। 1928 में पेनिसिलिन के आने के बाद, यह बात स्पष्ट हो गई थी कि एण्टीबायोटिक्स का दिया जाना अनेक शल्यक्रिया-सम्बन्धी प्रक्रियाओं में घाव के संक्रमण की दरों को कम कर सकता है।[1] सबसे पहले, रोगनिरोध को किसी ऐसी तरह से निर्धारित किया गया था जिसमें संगठन की कमी थी। जैसे-जैसे एण्टीबायोटिक का उपयोग बढ़ा था, वैसे-वैसे एण्टीबायोटिक्स और जीवाणुओं के कारण हुए अस्पताल से प्राप्त संक्रमणों के प्रति प्रतिरोध एक बढ़ती हुई समस्या बन गया था। पशुधन के उत्पादन में, किसान पशुओं की हानि की रोकथाम करने के लिए और, कुछ देशों में, स्वस्थ पशुओं में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए, एण्टीबायोटिक्स का उपयोग करते हैं।
आजकल, रोगनिरोध के लिए, दस वर्ष पहले की तुलना में कम एण्टीबायोटिक्स का उपयोग होता है। एण्टीबायोटिक्स के वर्तमान उपयोग से प्रतिरोध, ऐसे जीवाणु में परिवर्तन जिनके कारण संक्रमण होते हैं, और जीवाणुजन्य संक्रमणों का पता लगाने के लिए प्रौद्योगिकी में प्रगति, बढ़े हैं।
पेशेवर दिशा-निर्देश जीवाणुजन्य संक्रमण के किसी उच्च जोखिम वाली प्रमुख शल्यक्रिया से पहले एण्टीबायोटिक्स का उपयोग करने की अभी भी सिफ़ारिश करते हैं, परन्तु अधिकतर मामलों में, केवल शल्यक्रिया के समय पर एण्टीबायोटिक्स की केवल एक एकल ख़ुराक़ की सिफ़ारिश करते हैं। डब्ल्यूएचओ संक्रमण की रोकथाम करने के लिए शल्यक्रिया के बाद एण्टीबायोटिक्स के लम्बी अवधि तक उपयोग करने के विरुद्ध सिफ़ारिश करता है।[2] एण्टीबायोटिक रोगनिरोध की सिफ़ारिश दन्त प्रक्रियाओं से पहले अब नहीं की जाती है जब तक रोगी को दिल का कृत्रिम वॉल्व या आमवाती हृदय रोग न हो।
2017 में, डब्ल्यूएचओ ने खाद्य-उत्पादन करने वाले पशुओं में चिकित्सीय रूप से महत्वपूर्ण एण्टीबायोटिक्स के सभी वर्गों के उपयोग में एक समग्र कमी की दृढ़ता से सिफ़ारिश की थी, जिनमें सम्मिलित है - वृद्धि को बढ़ावा देने और बिना किसी पूर्व निदान के रोग की रोकथाम के लिए इन एण्टीबायोटिक्स पर पूर्ण प्रतिबन्ध।[3] रोग की रोकथाम करने के लिए स्वस्थ पशुओं को एण्टीबायोटिक्स प्राप्त नहीं होनी चाहिए, यदि उसी झुण्ड (फ़्लॉक), झुण्ड (हर्ड) में रोगग्रस्त पशुओं या मछलियों में रोगग्रस्त मछली का कोई निदान किया गया हो।
यह बात ध्यान देने योग्य है कि वृद्धि को बढ़ावा देने वालों के रूप में एण्टीबायोटिक्स के उपयोग को रोकने के अभियान को बढ़ावा दे रहे देशों को यह पता चल सकता है कि किसान एण्टीबायोटिक रोगनिरोध को बढ़ाकर प्रतिक्रिया देते हैं - जिसके कारण पशुपालन में उपयोग किए गए एण्टीबायोटिक्स की कुल मात्रा समान बनी रहती है या यहाँ तक कि, बढ़ जाती है।[4] इसलिए, किसी निदान के बिना, एण्टीबायोटिक रोगनिरोध को प्रतिबन्धित करने की डब्ल्यूएचओ की सिफ़ारिश का पालन करना शोचनीय है।
पशुओं में रोग की रोकथाम के लिए एण्टीबायोटिक्स का उपयोग करने के वैकल्पिक विकल्पों में सम्मिलित हैं - स्वच्छता में सुधार करना, टीकाकरण का बेहतर उपयोग और पशु आवास और पशुपालन की प्रथाओं में परिवर्तन।
References
1 Westerman, E. L. (1984). Antibiotic prophylaxis in surgery: Historical background, rationa1e, and relationship to prospective payment. American Journal of Infection Control,12(6), 339-343. doi:10.1016/0196-6553(84)90007-5
2 WHO. (2018). Global guidelines for the prevention of surgical site infection, second edition. Geneva, Switzerland: World Health Organization. ISBN 978 92 4 155047 5
3 WHO. (2017, November 7). Stop using antibiotics in healthy animals to preserve their effectiveness. Retrieved from https://www.who.int/news-room/detail/07-11-2017-stop-using-antibiotics-in-healthy-animals-to-prevent-the-spread-of-antibiotic-resistance
4 Mevius, D., & Heederik, D. (2014). Reduction of antibiotic use in animals “let’s go Dutch”. Journal Für Verbraucherschutz Und Lebensmittelsicherheit,9(2), 177-181. doi:10.1007/s00003-014-0874-z